BTC Question Paper 2016 II Semester with Solution

BTC Question Paper 2016 II Semester with Solution

उत्तर प्रदेश बी०टी०सी० परीक्षा प्रश्न-पत्र प्रथम वर्ष :द्वितीय सेमेस्टर, 2016 षष्ट्म प्रश्न-पत्र : हिन्दी प्रिय दोस्तों क्या आप सभी
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उत्तर प्रदेश बी०टी०सी० परीक्षा प्रश्न-पत्र प्रथम वर्ष :द्वितीय सेमेस्टर, 2016 षष्ट्म प्रश्न-पत्र

वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. बच्चों को कहानी  सुनाते समय बीच-बीच में उनकी कल्पनाशीलता को जागृत करने के लिए पूछना चाहिए-
(a) वर्णनात्मक प्रश्न         (b) विकासात्मक प्रश्न
(c) व्याख्यात्मक प्रश्न       (d) विश्लेषणात्मक प्रश्न
Ans. (b) विकासात्मक प्रश्न 
विकासात्मक प्रश्न -से बच्चों में कल्पनाशीलता रचनात्मक भावना तथा समस्या समाधान कौशल का विकास होता है। इससे बच्चों में सोचने, समझने एवं उनका विश्लेषण करने की क्षमता विकसित होती है।
2.  ‘जो बहुत अधिक बोलता हो’ वाक्यांश के लिए प्रयुक्त होने वाला एक शब्द है – 
(a) वक्ता(b) सुवक्ता
(c) वाचाल(d) नेता
Ans. (c) वाचाल 
वक्ता – भाषण देने वाला / जनसमुदाय को संबोधित उन्हे
• सुतक्ता – अच्छा है जो वक्ता
• नेता – जो अपने समर्थको को संबोधित करने का कार्य करता है।
• अल्पभाषी – थोडा बोलने वाला ।
• मितभाषी–थोडा / मित बोलने वाला।
3.  ‘जाग्रत’ शब्द का विलोम है – 
(a) विसुप्त(b) सुषुप्त
(c) शयन(d) चेतना
Ans. (b)  सुषुप्त 
• शयन – जागरण
• सोना – जागना
• चेतना – मूर्च्छा
• जड – चेतन
• अचेतन – चेतन
4. ‘सजग’ शब्द का पर्याय नहीं है – 
(a) चौकस (b) सचेत
(c) पहरेदार(d) सावधान
Ans. (c) पहरेदार 
सजग के अन्य पर्यायवाची – सावधान, सचेत, सतर्क, होशियार, चौकन्ना, ध्यानपूर्वक, होश, चौकस
पहरेदार के प्रर्यायवाची – चौकीदार, प्रहरी स्तरी, रक्षक, रखवाला, द्वारपाल, प्रतिहारी दरबान, चौरीदार
5. ‘महाकवि’ शब्द में प्रयुक्त समास हैं – 
(a) कर्मधारय (b) अव्ययीभाव
(c) तत्पुरुष(d)  बहुब्रीहि
Ans. (a)  कर्मधारय
• महान् है जो कवि – महाकवि
• महान् है जो आत्मा – महात्मा
• परम है जो आत्मा-परमात्मा
• परम है जो अणु – परमाणु
” जिस समास का दूसरा पद प्रधान हो एवं दोनों पदों के बीच उपमेय-उपमान तथा विशेष्य विशेषण का संबंध पाया जाता है उसे कर्मधारय समास कहते है। इसका दूसरा नाम समानाधिकरण तत्पुरुष समास है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
6. ‘प्रति’ उपसर्ग से बनने वाले दो शब्द लिखिए ।
‘प्रति’ उपसर्ग से बनने वाले शब्द – प्रतिनिधि, प्रतिध्वनि ।
उपसर्ग : “वे शब्दांश जो किसी मूल शब्द के पहले / आगे लगकर उसके अर्थ को परिवर्तित या विशेषता ला देते है, उसे उपसर्ग कहते है।” उपसर्ग का सूत प्रायद ‘प्रादयः’ होता है।
प्रति उपसर्ग से बने अन्य शब्द- प्रतिवर्ष, प्रतिमास, प्रत्यय, प्रत्यावर्तन, प्रत्यूष, प्रत्युपकार, प्रतिक्षण, प्रतिदिन प्रतीक्षा
7. ‘कारक’ शब्द में कौन सा प्रत्यय लगा हुआ है ? 
‘कारक’ शब्द में अंक’ प्रत्यय लगा हुआ है, कारक शब्द का निर्माण संस्कृत के ‘कृ’ धातु में ‘अक’प्रत्यय जोड़ने से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ करने वाला होता है।
परिभाषा- “वे शब्द जो संज्ञा अथवा सर्वनाम का क्रिया के साथ संबंध प्रकाशित करते है उसे कारक कहते है।” हिन्दी में कारक के आठ भेद होते हैं।
1- कर्ता कारक – ने
2- कर्म कारक – को
3- करण – से ,द्वारा ,  के द्वारा
4 – सम्प्रदान कारक – को, के लिए
5- अपादान कारक –   से (अलगाव)
6 – संबंध कारक – का, की, के
7- अधिकरण – मे, पर
8- सबोधन कारक – है! अरे!
8. ‘ईश ने पत्र पढ़ा’, वाक्य में कौन-सा लकार प्रयुक्त है ? 
वाक्य में लङ् लकार अर्थात् भूतकाल प्रयुक्त हुआ है।
9. ‘बालक तेज दौड़ता हैं’, वाक्य में किस क्रिया-विशेषण का प्रयोग हुआ है ? 
‘बालक तेज दौड़ता है।’ वाक्य में रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय का प्रयोग हुआ है ।
अविकारी या अव्यय शब्द ” ऐसे शब्द या पद जिन पर लिंग वचन, कारक, काल आदि के कारण कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, उसे अव्यय कहते है।” इसका सूत्र न व्यय इति अव्ययं ।’ है। इसके चारभेद होते हैं।
1. क्रिया विशेषण अव्यय
2. समुच्चय वोधक अव्यय
3. संबंध वोधक अव्यय
4. विस्मयादि वोधक अव्यय
1- क्रिया विशेषण अव्यय – “क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों या पदों को क्रिया विशेषण अव्यय कहते है।
इसके 4 भेद होते हैं।
1. काल वाचक क्रिया विशेषण अव्यय
 2. स्थान वाचक क्रिया विशेषण अव्यय
3. परिमाण वाचक क्रिया विशेषण अव्यय
 4. रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय
10. ‘वर्णन’ शब्द के दो पर्यायवाची शब्द लिखिए । 
वर्णन शब्द के दो पर्यायवाची है- विवरण, कथा, व्याख्या, ब्योरा, बयान, कथन, चित्रण, उल्लेख, चर्चा, जिक्र इत्यादि
पर्यायवाची शब्द-“ऐसे शब्द जो अपने समान अर्थ रखते है उसे पर्यायवाची कहते है।”
महत्वपूर्ण पर्यायवाची
कमल- नीरज, तोयज, अम्बुज, जलज, पंकज, राजीव, अरविन्द, उत्पल, कोकनद इन्दीवर, पुण्डरीक, सलिलज, शतदल ।
भ्रमर- भवरा, भौरा, अलि, भृंग, चंचरीक,द्विरेफ, शिलीमुख, नीलंग षट्पद ।
11. ‘सर्वनाम’ शब्द के दो उदाहरण लिखिए । 
सर्वनाम शब्द के 11 उदाहरण है-, मैं, तुम, आप, यह, वह, कोई, कुछ, जो, सो, कौन ,क्या ।
संज्ञा के बदले प्रयोग किये जाने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।”
“ऐसे शब्द या पद जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त होते है उसे सर्वनाम कहते हैं।”
सर्वनामों की संख्या – 11
सर्वनाम के भेद- 06
(i) पुरुष वाचक सर्वनाम – मैं, तुम
(ii) निजवाचक सर्वनाम – आप
(iii) निश्चय वाचक सर्वनाम – यह, वह
(iv) अनिश्चय वाचक सर्वनाम – कोई, कुछ
(V) संबंध वाचक सर्वनाम – जो, सो
(vi) प्रश्न वाचक सर्वनाम – कौन, क्या
लघु उत्तरीय प्रश्न
12. ‘क्रिया-विशेषण’ किसे कहते हैं ? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए ।
क्रिया-विशेषण – “क्रिया की विशेषता बताने वाले शब्दों या पदों को क्रिया- विशेषण अव्यय कहते है।”
मोहन प्रतिदिन पढ़ता है है।
वह कल जाएगा ।
रेखा धीरे-धीरे लिखती है।
मोहिनी कम बोलती है।
उपर्युक्त वाक्यो में प्रतिदिन, कल, धीरे-धीरे कम क्रिया की विशेषता बता रहे है इसलिए
क्रिया विशेषण अव्यय है।
क्रिया विशेषण अव्यय चार प्रकार के होते हैं-
1. काल वाचक क्रिया विशेषण अव्यय – “ऐसे क्रिया विशेषण अत्यय किया की समय संबंधी विशेषता प्रकट करते हैं।
जैले – आज, कल, परसों, शाम, दिनभर, हमेशा, सवेरे
2. स्थान वाचक क्रिया विशेषण अव्यय- “ऐसे क्रिया विशेषण अव्यय जो किसीक्रियाके स्थान की विशेषता प्रकट करतेहैं- जैसे- यहाँ, वहाँ, भीतर, बाहर, नीचे, सामने,
3. परिमाण वाचक क्रियाविशेषण अव्यय – “ऐसे अव्यय जो किसी क्रिया की परिमाण संबंधी विशेषता का बोध कराते हैं।
 जैसे- बहुत, अधिक, कम, ज्यादा थोड़ा, तनिक, जरा
4.  रीतिवाचक क्रिया विशेषण अव्यय – ऐसे क्रिया विशेषण अव्यय जो क्रिया के रीति या ढंग को बताते है।
कैसे, धीरे-धीरे, जैसे, यथा सहसा, अचानक, सचमुच, अवश्य, अकस्मात् ध्यानपूर्वक
 13. ‘गद्य-शिक्षण’ के सामान्य उद्देश्यों का वर्णन कीजिए ।
छंद रहित श्रव्यकाव्य- गद्य कहलाता है।”
अथवा
गद्य को कवियों की कसौटी या प्रतिभा कहा गया है।
गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य
(1) शुद्ध वाचन की योग्यता प्रदान करना ।
(2) तार्किक शक्ति का विकास करना।
(3) भाषा के प्रति रुचि पैदा करना।
(4) भाषा की बारीकियाँ समझाना।
(5) भाषा कौशल का विकास करना।
(6) साहित्यिक तत्वों का ज्ञान ।
(7) रचनात्मकता का विकास कसा ।
(8) विश्लेष्णात्मक कौशल का विकास करना।
14. ‘वाक्य’ किसे कहते हैं ? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए । 
“शब्दों के सार्थक एवं व्यवस्थित समूह को वाक्य कहते है।”
वाक्य भाषा की सबसे बड़ी सार्थक इकाई होती है। वाक्य ही भाषा का सबसे बड़ा अंग होता है।
“वाक्य, सार्थक शब्दों का ऐसा व्यवस्थित समूह है जिससे अपेक्षित भाव एवं अर्थ की सुस्पष्ट एवं सुव्यवस्थित अभिव्यक्ति होती है।”
वाक्य के भेद
(1) रचना के आधार पर (03)
(i) सरल /साधारण वाव्य
(ii) संयुक्त वाक्य/ यौगिक वाक्य
(iii) मिश्र /मिश्रित / जटिल नाक्य
(2) अर्थ के आधार पर = 8
(1) विधानवाचक नाक्य
(ii) निषेधवाचक नाक्य
(iii) आसार्थक वाक्य
(iv) प्रश्नार्थक नाक्य
(v) विस्मयादिबोधकवाक्य
(vi) इच्छा वाचक वाक्य
(vii) संदेह सूचक वाक्य
(viii) संकेतार्थक वाक्य
15. ‘उपकार’,‘अनुपम’, ‘उपेक्षा’, ‘खग’ शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए । 
उपकार- भलाई, नेकी, कल्याण, मदद, परोपकार हितसाधन ।
अनुपम – अनुल, अनोखा, अदभूत, अन्य अद्वितीय बेजोड़ बेमिसाल, निराला, अनूठा
उपेक्षा – अवहेलना, तिरस्कार, अनादर, बेइज्जती, अवमानना, निरादर
खग – द्विज, नभचर, द्विज, पक्षी, शकुंत, चिड़िया अंडज, खेचर, विहग
16. ‘समास’ किसे कहते है? बहुव्रीहि समास के दो उदाहरण लिखिए ।
समास शब्द का निर्माण सम् + आस के योग से हुआ है। जिसमें सम् का शाब्दिक अर्थ सम्यक् रूप से तथा आस का अर्थ बैठाना या रखना है।
परिभाषा-” दो या दो से अधिक परस्पर संबंधित शब्दों के योग से नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को समास कहते है।”
समास का अर्थ- संक्षेप / संक्षिप्त /संक्षेपीकाण
समास का विलोम – व्यास / विस्तार
समास के भेद
1. अव्ययी भाव समास
2. तत्पुरुष समास या कारकीय समास
3. द्वंद्व समास
4.  बहुव्रीहि समास
5. कर्मधारय समास / समानाधिकरण
6. द्विगु समास
 बहुव्रीहि समास
“जिस समास का कोई पद प्रधान न हो बल्कि अन्य पद या तीसरे पद की प्रधानता हो उसे बहुव्रीहि समास कहते है।”
1. लम्बोदर – लम्बा है उदर जिसका / अर्थात्-गणेश
2. नाकपति – नाक (स्वर्ग) का पति है जो चारि-इन्द्र
3. श्रीश – श्री के ईश है जो-अर्थात-विष्णु
4- गणेश-गणों में ईश है जो – अर्थात – गणेश
5. मेघनाद-मेघके समान नाद है जिसकी – रावणपुत्र
 17. ‘विपरीतार्थक शब्द’ से क्या आशय है ? ‘मुक्ति’, ‘लैकिंक’ ,‘वादी’ तथा ‘संयोग’ शब्दों के विलोम शब्द लिखिए ।
विपरीतार्थक शब्द
“ ऐसे शब्द जो अपने अर्थ के ठीक विपरीत अर्थ प्रकट करते है उसे विपरीतार्थक या विलोम शब्द कहते है।”
•मुक्ति – बंधन
• मुखर-वाचाल
•लौकिक – अलौकिक
• मसूण – रुक्ष
•वादी – प्रतिवादी
• सुरा-सुधा
•संयोग – वियोग /विप्रलम्भ
• हर्ष-विषाद
•प्राचीन – नवीन
• नया-पुराना
•सरस – नीरस
• निदा – स्तुति
•मधुर -कटु
• साक्षर – निरक्षर
उत्तर प्रदेश बी०टी०सी० परीक्षा प्रश्न-पत्र प्रथम वर्ष :द्वितीय सेमेस्टर, 2016 षष्ट्म प्रश्न-पत्र
18. ‘भाषा-शिक्षण’ में मौन वाचन का क्या महत्व है ? संक्षेप में लिखिए ।
भाषा-शिक्षण – “भाषा को सीखने औरसिखाने की प्रक्रिया को भाषा शिक्षण कहते है।”
इसमें भाषा के चारों कौशलो को सम्मिलित किया गया है।
सुनना, बोलना, पढ़ना, लिखना
मौन वाचन – मौन वाचन छात्रों को बिना आवाज किए समझने में मदद करता है। मौन वाचन पाठको की समझ और एकाग्रता में सुधार लाता है।
मौन वाचन के उद्देश्य
1. विषय वस्तु पर ध्यान केन्द्रित करता है।
2. ज्ञान प्राप्ति में मदद मिलती है।
3.स्वतंत्र अध्ययन को प्रोत्साहन करता है।
4. पठन गति में वृद्धि होती है।
5. समझ में सुधार होता है।
6. एकाग्रता में वृद्धि होती है।
7. आत्मसात् करने की क्षमता का विकास होता है।
8. रचनात्मक क्षमता का विकास होता है।
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