उत्तर वैदिक काल में 16 संस्कार | उत्तर वैदिक काल MCQ
क्या आप जानते है उत्तर वैदिक काल में 16 संस्कार | उत्तर वैदिक काल MCQ उत्तर वैदिक काल (लगभग 1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व) वह अवधि है जब वैदिक सभ्यता ऋग्वैदिक काल के उत्तरी-पश्चिमी क्षेत्र से बढ़कर गंगा के मैदानों तक फैल गई। इस काल में समाज, राजनीति, अर्थव्यवस्था और धर्म में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए, विशेषकर लोहे के उपयोग और कृषि के विस्तार के कारण।
मुख्य विशेषताएँ भौगोलिक विस्तार
इस काल में आर्यों का मुख्य केंद्र सप्त-सिंधु क्षेत्र से हटकर गंगा-यमुना दोआब (वर्तमान उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ हिस्सों) बन गया।
पुरातात्विक साक्ष्य, जैसे हस्तिनापुर और अंतरंगीखेड़ा से मिले लौह उपकरण और चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware), इस विस्तार की पुष्टि करते हैं।
उत्तर वैदिक काल राजनीतिक जीवन
जनपद का उदय: ऋग्वैदिक ‘जन’ (जनजाति) मिलकर बड़े क्षेत्रीय राज्य बन गए, जिन्हें ‘जनपद’ कहा जाने लगा।
राजतंत्र का सुदृढ़ीकरण: राजा (राजन) की शक्ति बहुत बढ़ गई और राजपद वंशानुगत हो गया। राजा ने अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए बड़े-बड़े यज्ञ, जैसे राजसूय, वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ, करने शुरू किए।
सभा और समिति का पतन: ऋग्वैदिक काल की जनजातीय सभाओं (सभा और समिति) का महत्व कम हो गया, और राजा को सलाह देने के लिए ‘रत्निन’ (अधिकारी) वर्ग (जैसे पुरोहित, सेनानी, संग्रहीता) उभरा。
उत्तर वैदिक काल सामाजिक जीवन
कठोर वर्ण व्यवस्था: समाज चार वर्णों (ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र) में स्पष्ट रूप से विभाजित हो गया। यह विभाजन अब व्यवसाय के बजाय जन्म पर आधारित और कठोर हो गया था।
महिलाओं की स्थिति में गिरावट: महिलाओं की सामाजिक स्थिति में गिरावट आई। उन्हें सभाओं में भाग लेने की अनुमति नहीं थी और शिक्षा के अधिकार सीमित हो गए。
आश्रम व्यवस्था: जीवन को चार आश्रमों में बांटा गया: ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास।
अछूत की अवधारणा: समाज में जटिलता बढ़ने के साथ, कुछ वर्गों को ‘अछूत’ माना जाने लगा।
उत्तर वैदिक काल आर्थिक जीवन
कृषि मुख्य आधार: अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार पशुपालन से हटकर कृषि बन गया। लोहे के औजारों की मदद से जंगलों को साफ किया गया और खेती का विस्तार हुआ।
फसलें: जौ के अलावा, धान (चावल) और गेहूं प्रमुख फसलें बन गईं।
शिल्प और व्यापार: विभिन्न शिल्पों का विकास हुआ, जिसमें लोहार, सुनार, कुम्हार और वस्त्र निर्माता शामिल थे। व्यापार में स्थिरता आई और वस्तु-विनिमय के साथ-साथ ‘निष्क’, ‘शतमान’ जैसी माप की इकाइयों का भी उल्लेख मिलता है।
उत्तर वैदिक काल धार्मिक जीवन
प्रमुख देवताओं में बदलाव: ऋग्वैदिक काल के प्रमुख देवता इंद्र और अग्नि ने अपना महत्व खो दिया। प्रजापति (निर्माता), विष्णु (संरक्षक), और रुद्र (शिव) प्रमुख देवता बन गए。
कर्मकांडों की जटिलता: यज्ञ और अनुष्ठान बहुत जटिल और महंगे हो गए, जिससे ब्राह्मणों का महत्व और प्रभाव बढ़ गया।
दर्शन और उपनिषद: कर्मकांडों की प्रतिक्रिया में, उपनिषदों जैसे दार्शनिक ग्रंथों की रचना हुई, जिन्होंने ज्ञान मार्ग, तपस्या और मोक्ष की अवधारणा पर जोर दिया।
मूर्तिपूजा की शुरुआत: इस काल में मूर्तिपूजा के शुरुआती संकेत मिलते हैं।
उत्तर वैदिक काल के 16 संस्कार के नाम और उनके बारे में जानकारी
उत्तर वैदिक काल में विकसित सोलह संस्कारों (षोडश संस्कार) का उद्देश्य व्यक्ति के जीवन के महत्वपूर्ण पड़ावों को चिह्नित करना, उसे परिष्कृत करना और
आध्यात्मिक विकास की दिशा में मार्गदर्शन करना था। ये संस्कार मानव जीवन को गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक की यात्रा में पवित्र बनाते हैं।
जन्म-पूर्व संस्कार (Pre-natal Samskaras)
- गर्भाधान (Garbhadhana): यह पहला संस्कार है जो स्वस्थ और गुणवान संतान की प्राप्ति के उद्देश्य से किया जाता है। यह गर्भाधान की प्रक्रिया को एक पवित्र अनुष्ठान के रूप में स्वीकार करता है।
- पुंसवन (Pumsavana): यह संस्कार गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, विशेष रूप से पुरुष संतान के लिए, गर्भावस्था के शुरुआती महीनों में किया जाता है।
- सीमन्तोन्नयन (Simantonnayana): यह गर्भवती महिला के कल्याण और गर्भस्थ शिशु के मानसिक विकास के लिए किया जाता है। इसमें गर्भवती माँ का मनोबल बढ़ाने और उसे प्रसन्न रखने पर जोर दिया जाता है।
बाल्यावस्था के संस्कार (Childhood Samskaras)
- जातकर्म (Jatakarma): शिशु के जन्म के तुरंत बाद किया जाने वाला यह संस्कार बच्चे को दिव्य आशीर्वाद प्राप्त कराता है और उसके आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।
- नामकरण (Namakarana): जन्म के दसवें या बारहवें दिन, या किसी शुभ दिन पर बच्चे का औपचारिक रूप से नाम रखा जाता है। नाम का चयन जन्म नक्षत्र या ज्योतिषीय मान्यताओं के आधार पर होता है。
- निष्क्रमण (Nishkramana): जन्म के चौथे महीने में बच्चे को पहली बार घर से बाहर निकालकर सूर्य और प्राकृतिक वातावरण के संपर्क में लाया जाता है।
- अन्नप्राशन (Annaprashana): बच्चे को पहली बार ठोस आहार (अन्न) खिलाने का संस्कार, आमतौर पर जन्म के छठे महीने में होता है。
- चूड़ाकर्म/मुंडन (Chudakarana): बच्चे के सिर के बाल पहली बार उतारे जाते हैं, आमतौर पर पहले या तीसरे वर्ष में। यह शुद्धि का प्रतीक माना जाता है।
- कर्णवेध (Karnavedha): बच्चे (लड़का-लड़की दोनों) के कान छेदे जाते हैं। यह शारीरिक स्वास्थ्य और सौंदर्य दोनों से जुड़ा हुआ माना जाता है।
शिक्षा से जुड़े संस्कार (Educational Samskaras)
- विद्यारंभ (Vidyarambha): बच्चे की औपचारिक शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक संस्कार, जिसमें उसे अक्षर ज्ञान दिया जाता है।
- उपनयन/यज्ञोपवीत (Upanayana): यह सबसे महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक है, जिसमें बच्चे को ‘पवित्र धागा’ (जनेऊ) पहनाया जाता है। यह बच्चे के गुरु के आश्रम में जाने और औपचारिक वैदिक शिक्षा शुरू करने का संकेत है, जिससे वह ‘द्विज’ (दोबारा जन्मा) कहलाता है।
- वेदारंभ (Vedarambha): यह उपनयन के बाद किया जाता है, जब छात्र वेदों का अध्ययन शुरू करता है。
- केशांत/गोदान (Keshanta/Godana): शिक्षा पूरी होने से पहले या जवानी की शुरुआत में, छात्र पहली बार दाढ़ी-मूंछ के बाल बनवाता है। यह ब्रह्मचर्य आश्रम की समाप्ति का भी संकेत हो सकता है।
- समावर्तन (Samavartana): गुरुकुल में शिक्षा पूर्ण होने पर छात्र का ‘दीक्षांत समारोह’ होता है। इसके बाद वह गृहस्थ जीवन में प्रवेश के लिए अपने घर लौट आता है。
जीवन के अंतिम संस्कार (Life & Death Samskaras)
- विवाह (Vivaha): गृहस्थ जीवन में प्रवेश और पारिवारिक जिम्मेदारियों को निभाने के लिए किया जाने वाला सबसे विस्तृत और महत्वपूर्ण संस्कार।
- अन्त्येष्टि (Antyeshti): यह जीवन का अंतिम संस्कार है, जो व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शरीर का दाह संस्कार और अंतिम संस्कार की विधियों को पूर्ण करता है।
उत्तर वैदिक काल top MCQ
(A) 1500 ईसा पूर्व – 1000 ईसा पूर्व
(B) 1000 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व
(C) 600 ईसा पूर्व – 300 ईसा पूर्व
(D) 3000 ईसा पूर्व – 1500 ईसा पूर्व
उत्तर: (B) 1000 ईसा पूर्व – 600 ईसा पूर्व
2. उत्तर वैदिक काल में मुख्य रूप से कौन-से ग्रंथ संकलित किए गए?
(A) ऋग्वेद
(B) यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद
(C) उपनिषद और आरण्यक
(D) B और C दोनों
उत्तर: (D) B और C दोनों (यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद, ब्राह्मण ग्रंथ, उपनिषद, आरण्यक)
3. उत्तर वैदिक काल में अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार क्या था?
(A) पशुपालन
(B) कृषि
(C) व्यापार
(D) शिकार
उत्तर: (B) कृषि
4. किस स्थान की खुदाई से लौह धातु के प्रचलन के प्राचीनतम प्रमाण मिले हैं, जो उत्तर वैदिक काल से संबंधित है?
(A) हस्तिनापुर
(B) तक्षशिला
(C) अंतरंगीखेड़ा
(D) कौशाम्बी
उत्तर: (C) अंतरंगीखेड़ा
5. उत्तर वैदिक काल में ‘जन’ के स्थान पर बड़े क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ, जिन्हें क्या कहा गया?
(A) राष्ट्र
(B) महाजनपद
(C) जनपद
(D) ग्राम
उत्तर: (C) जनपद
(A) ऋग्वैदिक काल
(B) उत्तर वैदिक काल
(C) महाजनपद काल
(D) मौर्य काल
उत्तर: (B) उत्तर वैदिक काल
(A) ऋग्वेद
(B) सामवेद
(C) यजुर्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर: (D) अथर्ववेद
8. उत्तर वैदिक काल में राजा की शक्ति बढ़ाने के लिए किए जाने वाले प्रमुख यज्ञ कौन-से थे?
(A) राजसूय, अश्वमेध, वाजपेय
(B) ज्योतिष्टोम, अग्निष्टोम
(C) दैनिक यज्ञ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (A) राजसूय, अश्वमेध, वाजपेय
9. किस ग्रंथ में मानव आत्मा के एक शरीर से दूसरे शरीर में गमन (पुनर्जन्म) का विश्वास व्यक्त किया गया है?
(A) ब्राह्मण ग्रंथ
(B) आरण्यक
(C) उपनिषद
(D) संहिता
उत्तर: (C) उपनिषद
10. उत्तर वैदिक काल में कौन-से देवता प्रमुख हो गए, जिन्होंने ऋग्वैदिक देवताओं का स्थान ले लिया?
(A) इंद्र और अग्नि
(B) प्रजापति, विष्णु और रुद्र
(C) वरुण और सूर्य
(D) मरुत और सोम
उत्तर: (B) प्रजापति, विष्णु और रुद्र
(A) लचीला और व्यवसाय-आधारित
(B) कठोर और जन्म-आधारित
(C) रंग-आधारित
(D) केवल दो वर्ण थे
उत्तर: (B) कठोर और जन्म-आधारित
(A) ऋग्वेद संहिता
(B) भगवद्गीता
(C) मुंडकोपनिषद
(D) शतपथ ब्राह्मण
उत्तर: (C) मुंडकोपनिषद
13. उत्तर वैदिक काल में किस फसल को प्रमुखता मिली, जो ऋग्वैदिक काल में गौण थी?
(A) जौ (यव)
(B) धान (चावल) और गेहूँ
(C) गन्ना
(D) कपास
उत्तर: (B) धान (चावल) और गेहूँ
14. ‘शतपथ ब्राह्मण’ किस वेद से संबंधित एक महत्वपूर्ण उत्तर वैदिक ग्रंथ है?
(A) ऋग्वेद
(B) सामवेद
(C) यजुर्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर: (C) यजुर्वेद
15. उत्तर वैदिक काल में महिलाओं की सामाजिक स्थिति में क्या बदलाव आया?
(A) उन्हें सभाओं में भाग लेने की अधिक स्वतंत्रता मिली।
(B) उनकी स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ।
(C) उनकी स्थिति में गिरावट आई और अधिकार सीमित हो गए।
(D) पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार प्राप्त थे।
उत्तर: (C) उनकी स्थिति में गिरावट आई और अधिकार सीमित हो गए।
(A) काले और लाल मृदभांड
(B) चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware)
(C) उत्तरी काले पॉलिशदार मृदभांड
(D) गेरू रंग के मृदभांड
उत्तर: (B) चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware)
(A) मूर्तिपूजा
(B) उपनिषदों का दर्शन (ज्ञान मार्ग)
(C) पशु बलि
(D) राजसूय यज्ञ
उत्तर: (B) उपनिषदों का दर्शन (ज्ञान मार्ग)
18. उत्तर वैदिक साहित्य में ‘अरण्यक’ का क्या अर्थ है?
(A) जंगल में लिखे गए ग्रंथ
(B) शहरी जीवन पर आधारित ग्रंथ
(C) राजाओं द्वारा लिखे गए ग्रंथ
(D) कृषि पद्धतियों पर ग्रंथ
उत्तर: (A) जंगल में लिखे गए ग्रंथ (आरण्यक उन ऋषियों के लिए थे जो जंगलों में एकांत में रहते थे)
19. उत्तर वैदिक काल में कर संग्रह करने वाले अधिकारी को क्या कहा जाता था?
(A) पुरोहित
(B) सेनानी
(C) संग्रहीता
(D) राजन
उत्तर: (C) संग्रहीता
20. किस उपनिषद में ‘तत्वमसि’ (वह तुम हो) जैसे महावाक्य का उल्लेख है, जो अद्वैत दर्शन का आधार है?
(A) बृहदारण्यक उपनिषद
(B) छांदोग्य उपनिषद
(C) मुंडकोपनिषद
(D) ईश उपनिषद
उत्तर: (B) छांदोग्य उपनिषद
(A) वैष्णव धर्म
(B) बौद्ध धर्म और जैन धर्म
(C) शैव धर्म
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (B) बौद्ध धर्म और जैन धर्म
(A) वर्ण व्यवस्था
(B) गोत्र व्यवस्था
(C) आश्रम व्यवस्था
(D) जाति व्यवस्था
उत्तर: (C) आश्रम व्यवस्था
23. शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, विदेह माधव की कथा किससे संबंधित है?
(A) दक्षिण भारत में आर्यों के विस्तार से
(B) पूर्वी भारत (गंगा के मैदान) में आर्यों के विस्तार से
(C) पश्चिम भारत में व्यापार से
(D) राजाओं के युद्ध से
उत्तर: (B) पूर्वी भारत (गंगा के मैदान) में आर्यों के विस्तार से
24. किस वेद का संकलन यज्ञों के अवसर पर गाए जाने वाले मंत्रों से हुआ है?
(A) ऋग्वेद
(B) सामवेद
(C) यजुर्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर: (B) सामवेद
25. ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ (अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो) कथन मूलतः कहाँ से लिया गया है?
(A) पुराणों से
(B) महाकाव्यों से
(C) उपनिषदों से
(D) षड्दर्शन से
उत्तर: (C) उपनिषदों से
(A) तांबा
(B) कांस्य
(C) लोहा
(D) सोना
उत्तर: (C) लोहा
(A) काले और लाल मृदभांड
(B) चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware)
(C) उत्तरी काले पॉलिशदार मृदभांड
(D) गेरू रंग के मृदभांड
उत्तर: (B) चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Grey Ware)
28. उत्तर वैदिक काल में राजा के राजस्व संग्रह अधिकारी को क्या कहा जाता था?
(A) वज्रपति
(B) भागदुघ (Bhagadugha)
(C) जीवग्रीभ
(D) पुरोहित
उत्तर: (B) भागदुघ (Bhagadugha)
29. किस वेद में सभा और समिति को ‘प्रजापति की दो पुत्रियाँ’ कहा गया है?
(A) ऋग्वेद
(B) सामवेद
(C) यजुर्वेद
(D) अथर्ववेद
उत्तर: (D) अथर्ववेद
30. उत्तर वैदिक काल में कौन सा वर्ण समाज में सबसे विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग था?
(A) वैश्य
(B) शूद्र
(C) क्षत्रिय
(D) ब्राह्मण
उत्तर: (D) ब्राह्मण (ब्राह्मण और क्षत्रिय विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग थे, जिनमें ब्राह्मण प्रमुख थे)
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